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Incomplete Love Story

क्या जवाब दूंगा ..?

जब इश्क हो जाए तो अच्छा लगता है। उसको देखना, उसको सुनना, उसमें खोए रहना अच्छा लगता है..। मगर जिस दिन बात बिगड़ जाए, जिस दिन इश्क खुद से ही उम्मीद हार जाए उस दिन दुख होता है बड़ा दुख होता है।

मुझे याद है वह हमारी साथ में खूब सारी बेफिजूल की गपशप करना, वक्त का यूं ही बीत जाना। मैं आज फिर से मुस्कुरा तो लूं ख्याल-ए-आलम में उनके….।
मगर अरसों बाद मुस्कुराते देख अगर किसी ने मुस्कुराने की वजह पूछी तो क्या जवाब दूंगा..?

“चॉकलेट, पल्स, माजा- यह तुम्हें बहुत पसंद थी ना”
तुम बहुत शर्मीली और नादान सी थी, किसी फेयरी टेल्स की प्रिंसेस की तरह। और मैं बिल्कुल विपरीत एकदम नटखट सा। हम दोनों हमेशा ही एक दूसरे से जुदा रहे, जो कि सिर्फ इस कविता में ही एक हो सकते हैं।
मगर मैं ऐसा नहीं लिखूंगा, क्योंकि इसको पढ़ अगर किसी ने, वास्तविकता की तलाश की तो उसको क्या जवाब दूंगा…?

कुछ ज्यादा निशानी तो नहीं हमारी कहानी की, पर मै टटोल तो लूं तुम्हारे दिए हुए टॉफी रैपर्स, टिक-टिक पेन, और तुम्हारे हाथों लिखे हुए असाइनमेंट के पन्ने।
मगर उनको देख जो छलके आशु तो अब गैरों के लिए अपनी आंखों को क्या जवाब दूंगा..?

मैं लिख तो दूं बहुत कुछ तुम्हारी व्याख्यान में, अपनी इस कविता में। मगर जो पढ़ने वाले ने तुम्हारे खफा होने की वजह पूछी, तो उसको क्या जवाब दूंगा..?

तुम्हारी सारी बातें, वह बचकानी हरकतें आज भी कैद हैं मेरे दिल में! कभी सोचता हूं कि कर दूं आजाद इनको।
मगर जो पूछा खाली दिल ने अपने अकेलेपन की वजह, तो मैं उसको क्या जवाब दूंगा..?

नाक और कान में गोल बाली, साधारण और होनहार सी लड़की। बड़ा ही जादुई अंदाज था तुम्हारा। तुम हमेशा मेरी फेवरेट थी लेकिन ना जाने क्यों जब भी मैं तुम्हारी तारीफ करता, तुम मुझसे खुद की ही शिकायतें करने लगती। (जिनको सुन मुझे तुम पर और प्यार आता)
कोई बोलता नादान हो तुम, तो कोई बोलता दुनिया से अनजान हो तुम,
मगर मेरी नजर से देखो बड़ी कमाल की हो तुम।

अनंत शब्द हैं आज भी मेरी जुबान पर तुम्हारी तारीफ में उस दिन की तरह! मैं लिख तो दूं सारी नज्म-ए-गजलें अपनी कविता में,
मगर पढ़ने वाले को भी अगर मेरी तरह तुमसे बेपनाह इश्क होकर अधूरा रह गया तो क्या जवाब दूंगा..?

मैं लिखना तो चाहता हूं और भी बहुत कुछ तुम्हारे बारे में,
मगर किसी ने क्यों देर रात तक जागने की वजह पूछ लिया तो क्या जवाब दूंगा..?

मैं डूब तो जाऊं आज भी तुम्हारे ही ख्यालों के समंदर में।
मगर जो टकराई वॊ किसी रोज साहिल पर खड़ी, तो मैं उसको क्या जवाब दूंगा..?

मैं आज भी हाथ थाम तो लूं तुम्हारा।
मगर कहीं मिल गई वॊ तन्हा, तो क्या जवाब दूंगा..?

मैं बातें तुमसे करूंगा, अपनी इन्हीं मेहरून कविताओं के बगीचे में!
जिक्र तुम्हारा ही करूंगा, मगर नाम कभी ना लूंगा।
तुम आना किसी रोज अपना वक्त लेकर, जरा इन गलियारों से गुजर जाना।

संग तेरे नाम के सहारे, इस दुनिया को कर दिया मैंने किनारे।

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